only yoga can gives us a completness ........

मनुष्य अपने जीवन मे चारो ओर केवल और केवल सुख को हि ढूँढते राहता है।  परन्तु आखिर कार उसे मूल रूप से सुख कि प्रप्ति नही  ही  हो पाति। किसी ने सोचा आखिर ऐसा क्यो हो रह है।  यदि हम अपने जीवन को ध्यान पूर्वक देखे थोड़े शान्ति पूर्वक अपने और अपने इश्वर के पास बैठे तो कही ज कर हूमे उस वास्तिवक षांति कि प्रप्ति हो पायेगी, जिसकी वाकई हमे तलाश थी।  तब हम अपने जीवन से खुश रहेंगे।  ख़ुशी हमे कही बाहर से प्रप्त नहि हो सकती।  इसे हमे अपने भीतर हि ढूँढना है।  क्योकि सच्ची ख़ुशी और सच इश्वर हमरे भित्तर हि वराजमान है


Comments

Popular posts from this blog

Award of Doctorate degree